The Thief's Story English Class:10th Footprints without Feet Chapter:- 2
The Thief's Story English Class:10th Footprints without Feet Chapter:- 2
By:- Ruskin Bond
Chapter Overview
The story highlights how kindness, compassion and trust can change even criminals. In the story, a 15 year old thief named Hari Singh, undergoes a changes when he meets Anil, a 25 year old writer. Anil's unspoken words and kind gestures leave a very positive impact on Hari Singh's life. As a result, Hari could not rab Anil as he had planned. He realised the importance of education and became a better man under Anil's company.
About the Characters
Hari Singh:- (The Narrator) He is a 15 year old, experienced thief. He is keen on learning how to read and write.
Anil:- He is a 25 year old, tall and lean man who earns his living by writing. He is a kind, simple and an easy-going person.
Summary
How the narrator (a thief) befriends Anil
The narrator was a thief when he met Anil. He was only 15. Anil had been watching a wrestling match when he went to him. Anil was about 25. He was lean and tall. He looked kind, simple and easy-going. The narrator soon made Anil his friend. He lied that his name was Hari Singh. He changed his name every month. It was to avoid the police and his former employers.
Both the narrator and Anil at Anil's room
Anil walked away. The narrator followed him. He smiled and told Anil that he wanted to work for him. Anil replied that he couldn't pay him. He asked Anil if he could feed him. Anil asked if he could cook. The narrator lied that he could cook. So Anil took him to his room over the Jumna Sweet Shop. He told him that he could sleep on the balcony. The narrator cooked the food. But Anil gave it to a dog as it was tasteless. He asked the narrator to go. But he remained there. Anil also told him to stay. He also told him that he would teach him how to cook.
Narrator at his old game
The narrator made the tea in the morning. He would buy the day's supplies. In that he would make a profit of about a rupee a day. Anil knew he made money that way. But he never spoke about it.
Faith between Anil and the narrator increases
Anil made money by fits and starts. When he made much of it, he would celebrate. One evening he came home with a small bundle of notes. He told the narrator that he had just sold a book to a publisher. The narrator had been working for Anil for almost a month. By this time Anil had given him a key to the door. He could come and go as he liked.
The narrator steals Anil's money
The narrator found it difficult to rob Anil because he was careless. That took all the pleasure of robbing. However, he decided to steal money. He thought it right as Anil did not pay him any money. The narrator studied the situation. One night Anil was asleep, He had the money under the mattress. If he took the money he could catch the 10.30 Express to Lucknow. So he stole the notes and went out of the room.
Narrator escapes with money
The narrator held the notes by the string of his pyjamas. The notes were Rs. 600 in fifties. He could live like an oil-rich Arab for a week or two. When he reached the station, the Lucknow Express was just moving out. He could jump into it. But he didn't. He was on the platform. He had no idea where to spend the night. He did not want to stay in a hotel either. He walked through the bazaar slowly.
What the narrator thinks about Anil after theft
As a thief the narrator had studied men's faces when they had lost their goods. The greedy man showed fear. The rich man showed anger. The poor man showed acceptance. But he knew that Anil would show sadness when he would know of it. This sadness would be for the loss of trust.
The narrator in the rain
The thief went to the maidan and sat down on a bench. It was a chilly November night. A light added to his discomfort. Soon it began to rain heavily. He was drenched. He sat down in the shelter of the clock tower.
Narrator's thoughts at this stage
It was midnight. The notes were damp. He felt that it was Anil's money. In the morning he would probably have given him two or three rupees. It was for the cinema. Now he had it all. He couldn't cook his meals and learn to write.
The narrator decides to return
The narrator had forgotten these things in the excitement of the theft. He felt that writing could bring him more than a few hundred rupees. It was simple to be a thief. But to be really a big man, clever and respected, was something else. decided go back to Anil to learn to read and write.
How he puts the money back
He hurried back to the room. He was feeling very nervous. He opened the door and stood in the doorway. Anil was still asleep. He slipped the notes back under the mattress. Then he went to sleep.
Friendship intact
He awoke late next morning. Anil had already made the tea. He offered a fifty-rupee note to the narrator. The narrator's heart sank. He felt that he had been discovered. Anil told him that he had made some money the day before. Now he would pay the narrator regularly. He also told that they would start writing sentences. The narrator smiled at Anil in his most appealing way.
Summary in hindi
वर्णनकर्त्ता (चोर) द्वारा अनिल के साथ मित्रता बनाना
वर्णनकर्त्ता एक चोर था जब वह अनिल से मिला। वह सिर्फ पन्द्रह वर्ष का था। जब वह उसके पास गया अनिल उस समय कुश्ती देख रहा 1 था। अनिल लगभग २५ वर्ष का था। वह लम्बा और दुबला-पतला था। वह दयालु, साधारण और आरामपरस्त दिखता था। वर्णनकर्ता ने शीघ्र ही अनिल को अपना मित्र बना लिया। उसने झूठ बोला कि उसका नाम हरि सिंह था। वह हर महीने अपना नाम बदल लेता था। यह पुलिस या अपने पहले मालिकों से बचने के लिए था।
वर्णनकर्त्ता और अनिल, दोनों, अनिल के कमरे में
अनिल चला गया। वर्णनकर्त्ता उसके पीछे चला गया। वह मुस्कराया और उसने अनिल को बताया कि वह उसके लिए काम करना चाहता था। अनिल ने उत्तर दिया कि वह उसे पैसा नहीं दे सकता था। उसने अनिल से पूछा कि क्या वह उसे खाना खिला सकता था। अनिल ने पूछा कि क्या वह खाना बना सकता था। वर्णनकर्त्ता ने झूठ बोला कि वह खाना पका सकता था। इसलिए अनिल उसे जमुना स्वीट शोप के ऊपर अपने कमरे में ले गया। उसने उसे बताया कि वह बाल्कनी में सो सकता था। वर्णनकर्त्ता ने खाना बनाया। परन्तु अनिल ने उसे एक कुत्ते को दे दिया क्योंकि खाना बेस्वाद था। उसने वर्णनकर्त्ता को जाने के लिए कहा। परन्तु वह वहाँ डटा रहा। अनिल ने उसे रुकने के लिए भी कहा। उसने उसे यह भी बताया कि वह उसे सिखायेगा कि खाना कैसे पकाया जाता है।
वर्णनकर्त्ता पुरानी चालाकी पर
वर्णनकर्त्ता सुबह की चाय बनाता था। वह दिन का सामान खरीदता था। उसमें वह लगभग एक रुपया प्रतिदिन लाभ कमा लेता था। अनिल जानता था कि वह उस प्रकार से पैसा बनाता है। परन्तु वह इसके बारे में कभी नहीं बोला।
अनिल और वर्णनकर्त्ता में विश्वास का बढ़ना
अनिल अनियमित तरीके से पैसा बनाता था। जब ज्यादा बना लेता खुशियाँ मनाता। एक शाम वह घर नोटों के एक छोटे से बण्डल के साथ आया। उसने वर्णनकर्त्ता को बताया कि उसने अभी-अभी एक पुस्तक एक प्रकाशक को बेची है। वर्णनकर्ता अनिल के लिए लगभग एक महीने से कार्य कर रहा था। इस समय तक अनिल ने उसे दरवाजे की एक पुरानी चाभी दे दी थी। वह जब चाहे आ जा सकता था।
वर्णनकर्त्ता का अनिल के पैसे चुराना
वर्णनकर्ता को अनिल को लूटना काफी कठिन लगा क्योंकि वह 7 the असावधान था। उसने लुटने की सारी खुशी छीन ली। फिर भी उसने पैसे को चुराने का निर्णय लिया। उसने इसे ठीक समझा क्योंकि अनिल उसे कोई पैसा नहीं देता था। वर्णनकर्ता ने हालात को जाँचा परखा। died एक रात अनिल सोया हुआ था। उसके पास पैसा गद्दे के नीचे रखा था। यदि उसने पैसा ले लिया तो वह 10.30 की लखनऊ तक की एक्सप्रेस पकड़ सकता था। इसलिए उसने पैसे चुराए और कमरे से बाहर चला गया।
वर्णनकर्त्ता का धन के साथ बच निकलना
वर्णनकर्त्ता ने नोटों को अपने पाजामे के नाड़े के साथ बाँध रखा था। 50 रुपये के नोटों में वे 600 रुपये थे। वह एक या दो सप्ताह तक तेल ek के धनी शेख की तरह से रह सकता था। जब वह स्टेशन पर पहुँचा तो लखनऊ एक्सप्रेस स्टेशन से बाहर जा रही थी। वह छलांग लगा कर e इसमें घुस सकता था। परन्तु उसने ऐसा नहीं किया। वह प्लेटफार्म पर था। उसे कोई विचार नहीं आया कि वह रात कहाँ गुजारेगा। वह एक होटल में भी रुकना नहीं था। वह धीरे धीरे बाजार में चलता रहा।
- वर्णनकर्ता द्वारा अनिल के बारे में चोरी के बाद सोचना
चोर के रूप में वर्णनकर्ता ने व्यक्तियों के चेहरों को पढ़ा था जब वे अपना सामान खो देते थे। लालची व्यक्ति भव दर्शाते थे। अमीर गुस्सा दर्शाते थे। गरीब स्वीकृति दिखाते थे। परन्तु वह जानता था कि अनिल उदासी दिखाएगा जब उसे इसका पता चलेगा। यह उदासी विश्वास के खोए जाने के कारण होगी।
वर्णनकर्त्ता बरसात में
चोर एक मैदान में चला गया और एक बेंच पर बैठ गया। यह नवम्बर की ठण्डी रात थी। एक हल्की बूँदा बाँदी ने उसके दुख को बढ़ा दिया था। शीघ्र ही तेज वर्षा होने लगी। वह भीग गया। वह घण्टाघर के नीचे शरणस्थान में बैठ गया। इस स्तर पर वर्णनकर्त्ता के विचार
आधी रात हो गई थी। नोट गीले हो गए थे। उसने महसूस किया कि यह अनिल का पैसा था। सुबह शायद वह उसे दो या तीन रुपये दे देता । यह सिनेमा के लिए था। अब ये सारे उसके पास थे। वह उसका खाना नहीं बना सकता था और लिखना सीख नहीं सकता था।
वर्णनकर्त्ता का वापसी का निर्णय
वर्णनकर्त्ता ने चोरी के उत्साह में ये चीजें भुला दी थीं। उसने महसूस किया कि लिखाई पढ़ाई उसे कुछ सौ से अधिक धन (रुपये) ला देगी। चोर होना साधारण है। परन्तु वास्तव में एक बड़ा, चतुर और इज्जतदार व्यक्ति बनना कुछ और ही है। उसने अनिल के पास वापस जाने और लिखना पढ़ना सीखने के लिए निर्णय किया।
उसके द्वारा पैसे वापस रखना
वह कमरे में शीघ्र ही चला गया। वह घबराहट महसूस कर रहा था। उसने दरवाज़ा खोला और वह दरवाज़े में खड़ा हो गया। अनिल तब भी सोया हुआ था। उसने गद्दे के नीचे नोट वापस रख दिए। फिर वह सोने के लिए चला गया।
मित्रता साबुत
वह अगली सुबह देर से जागा। अनिल ने पहले ही चाय बना ली थी। उसने वर्णनकर्ता को पचास का एक नोट दे दिया। वर्णनकर्ता का दिल बैठ गया। उसने महसूस किया कि उसका पता चल गया है। अनिल ने उसे बताया कि उसने एक दिन पहले कुछ पैसे बनाए हैं। अब वह वर्णनकर्त्ता को नियमित रूप से पैसे देता रहेगा। उसने यह भी बताया कि वे वाक्य लिखना आरम्भ करेंगे। वर्णनकर्ता अनिल पर अपने अत्यधिक पुनरावेदन रूप में मुस्कराया।
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